लचीले नैनोबोट्स को स्विट्जरलैंड के दो शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों द्वारा मानव शरीर में जीवन रक्षक दवाओं को डालने में मदद करने के लिए विकसित किया गया है।
स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, लॉज़ेन (EPFL) के सेलमैन सेकर और ज्यूरिख में स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (ETH) के ब्रैडली नेल्सन नामक दो वैज्ञानिकों, ने जैव-रासायनिक माइक्रोरोबॉट्स की व्युत्पत्ति की, जो बैक्टीरिया से प्रेरित हैं।
ये माइक्रोरोबॉट्स आवश्यकता के अनुसार आकार बदल सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर तरल पदार्थों के साथ बह भी सकते हैं। यह अपनी गति को बदले बिना रक्त वाहिकाओं से भी गुज़र सकते हैं।
ये माइक्रोरोबॉट्स हाइड्रोजेल नैनोकम्पोजिट्स से बने होते हैं जिसमे चुंबकीय नैनोकणों शामिल होते हैं। इन नैनोकणों को विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र से नियंत्रित किया जाता है।
वैज्ञानिकों ने इन रोबोट्स के आकार को बदलने के लिए एक प्रोग्राम बनाया है। इस प्रोग्राम से यह रोबोट्स तेज़ गति से गाढ़े, चिपचिपे और चलते हुए तरल पदार्थों में आसानी से बह सकते हैं।
इनकी प्रभावशीलता अच्छी होने क साथ साथ यह माइक्रोबोबॉट्स आसानी से बनाए जा सकते है।
सेकर ने कहा, "हमारे रोबोट की एक विशेष रचना और संरचना है की यह उस तरल पदार्थ की विशेषताओं के अनुसार अनुकूल हो जाते हैं जिसमें ये बह रहे हों।"
उन्होंने यह भी कहा कि "उदाहरण के लिए, यदि वे चिपचिपाहट या आसमाटिक एकाग्रता में बदलाव का सामना करते हैं, तो वे गति की दिशा को बदले बिना अपनी गति और गतिशीलता को बनाए रखने के लिए अपने आकार को बदल लेते हैं।"
भविष्य में, वैज्ञानिक मानव शरीर में पाए जाने वाले मिश्रित तरल पदार्थों के माध्यम से बहने के लिए माइक्रोबोबॉट्स के प्रदर्शन में सुधार करेंगे।
लक्ष्य प्राप्त करने के बाद, रोगग्रस्त ऊतक में सीधे दवाएं पहुंचाने के लिए नैनोरोबोट्स की खुराक निर्धारित करने में डॉक्टरों को ज़्यादा समय नहीं लगेगा।
ये माइक्रोबोबॉट्स अपनी गतिविधि में सुधार कर रहे हैं ताकि वे मानव शरीर के दूर के क्षेत्रों तक पहुंच सकें।