यह रक्त की एक जाँच है जिससे आपको अपने रक्त में ग्लूकोज़ के पिछले 3 महीनों के सामान्य स्तरों की जानकारी मिलती है। ए1सी जाँच का उपयोग टाइप 2 मधुमेह और पूर्व मधुमेह का निदान करने के लिए किया जा सकता है। ए1सी जाँच मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए उपयोग की जाने वाली प्राथमिक जाँच भी है।
ए1सी जाँच को कभी-कभी हेमोग्लोबिन ए1सी, एचबी ए1सी, ग्लाइकेटिड हेमोग्लोबिन, या ग्लाइकोहेमोग्लोबिन जाँच कहा जाता है। हेमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिका का हिस्सा है जो ऑक्सीजन को कोशिकाओं तक ले जाता है। ग्लूकोज़ आपकी रक्त कोशिकाओं में मौजूद हेमोग्लोबिन के साथ मिल जाता है, और ए1सी जाँच हेमोग्लोबिन के साथ ग्लूकोज़ के इस संयोजन पर आधारित होती है।
आपके रक्त प्रवाह में ग्लूकोज़ का स्तर जितना अधिक होगा, उतना अधिक ग्लूकोज़ हीमोग्लोबिन के साथ मिलेगा। ए1सी जाँच हेमोग्लोबिन की उस मात्रा को मापती है जिसमें ग्लूकोज़ मिला हुआ होता है और पिछले 3 महीनों के आपके रक्त में ग्लूकोज़ के सामान्य स्तरों को दर्शाता है।
ए1सी जाँच के परिणाम प्रतिशत के रूप में दर्शाए जाते हैं। जितना अधिक प्रतिशत होगा, आपके रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर उतना ही अधिक होगा। ए1सी का सामान्य स्तर 5.7 प्रतिशत से नीचे होता है।
जाँच की मदद से डॉक्टर:
यदि आप में पूर्व मधुमेह या मधुमेह के खतरे वाले कारक हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें कि क्या आपको जाँच करवानी चाहिए या नहीं।
डॉक्टर सिर्फ ए1सी जाँच का उपयोग करके या मधुमेह की अन्य जाँचों के संयोग के साथ टाइप 2 मधुमेह और पूर्व मधुमेह का निदान कर सकते हैं। ए1सी जाँच के लिए खून का नमूना देने से पहले खाली पेट रहने की ज़रूरत नहीं पड़ती, जिसका मतलब यह है कि दिन के किसी भी समय जाँच के लिए रक्त का नमूना लिया जा सकता है।
यदि आपको कोई लक्षण नहीं हैं लेकिन ए1सी जाँच से पता चलता है कि आपको मधुमेह या पूर्व मधुमेह है, तो निदान की पुष्टि के लिए ए1सी जाँच या मधुमेह की किसी अन्य जाँच का उपयोग करके अगले दिन दोबारा जाँच करवानी चाहिए।
निदान | ए1सी स्तर |
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सामान्य | 5.7 प्रतिशत से कम |
पूर्व मधुमेह | 5.7 से 6.4 प्रतिशत |
मधुमेह | 6.5 प्रतिशत या इससे ज़्यादा |
नोट - यदि आप में मधुमेह के स्पष्ट लक्षण नहीं हैं, तो मधुमेह का निदान करने के लिए उपयोग की जाने वाली प्रत्येक जाँच में दूसरे माप के साथ पुष्टि करने की जरुरत होती है।
डॉक्टर के क्लिनिक में जिस रक्त के नमूने का विश्लेषण किया जाता है उसे निदान के लिए उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
ए1सी जाँच का उपयोग मधुमेह टाइप 1, गर्भावस्था के दौरान होने वाले मधुमेह, या सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis) से संबंधित मधुमेह का निदान करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। ए1सी जाँच कुछ स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों में गलत परिणाम दे सकती है।
पूर्व मधुमेह होने से टाइप 2 मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है। पूर्व मधुमेह की 5.7 से 6.4 प्रतिशत के भीतर की ए1सी श्रेणी में, जितनी ए1सी की संख्या अधिक होती है, मधुमेह होने का खतरा उतना ही अधिक होता है।
डॉक्टर गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में ए1सी जाँच का उपयोग कर सकते हैं। चूंकि ए1सी जाँच पिछले 3 महीनों के आपके रक्त में ग्लूकोज़ के सामान्य स्तरों को दर्शाती है, इसलिए गर्भावस्था की शुरुआत में यह जाँच करवाने से इसके परिणामों में गर्भवती होने से पहले के समय के परिणाम की संख्या मिल सकती है। ग्लूकोज़ चैलेंज जाँच (Glucose Challenge Test) या ओरल ग्लूकोज़ टॉलरेंस जाँच (Oral Glucose Tolerance Test) का उपयोग आमतौर पर गर्भावस्था के 24वें से 28वें सप्ताह के बीच, गर्भावस्था के दौरान होने वाले मधुमेह का पता लगाने के लिए किया जाता है। अगर आपको गर्भावस्था के दौरान मधुमेह हुआ था, तो आपको जन्म देने के बाद 12 सप्ताह के अंदर इसकी जाँच करवानी चाहिए। यदि आपके रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर अभी भी ऊंचा है, तो आपको टाइप 2 मधुमेह हो सकता है। यहां तक कि यदि आपका रक्त ग्लूकोज़ सामान्य है, तो भी आपको भविष्य में टाइप 2 मधुमेह होने की अधिक संभावना है और आपको हर 3 साल में एक बार इसकी जांच करवानी चाहिए।
हाँ। डॉक्टर टाइप 2 मधुमेह और पूर्व मधुमेह का निदान करने के लिए फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज़ जाँच और ओरल ग्लूकोज़ टॉलरेंस जाँच का उपयोग भी करते हैं। मधुमेह का निदान करने के लिए उपयोग की जाने वाली इन रक्त ग्लूकोज़ जाँच के लिए, आपको अपने रक्त का नमूना देने से पहले कम से कम 8 घंटे खाली पेट रहना चाहिए। यदि आपको मधुमेह के लक्षण हैं, तो आपका डॉक्टर रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज़ जाँच का उपयोग कर सकता है, जिसमें आपको खाली पेट रहने की जरुरत नहीं होती है। कुछ मामलों में, डॉक्टर रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर मापने के लिए की गई जाँचों के परिणामों की पुष्टि करने के लिए ए1सी जाँच का उपयोग करते हैं।
हाँ। कुछ लोगों में, ए1सी जाँच के परिणाम के अनुसार उन्हें मधुमेह नहीं होता और दूसरी ओर रक्त ग्लूकोज़ जाँच के अनुसार उन्हें मधुमेह होता है। यह उल्टा भी हो सकता है कि ए1सी जाँच के परिणाम के अनुसार उन्हें मधुमेह हो और रक्त ग्लूकोज़ जाँच के अनुसार उन्हें मधुमेह न हो। जाँच के परिणामों में यह विभिन्नताएं होने के कारण, डॉक्टर निदान करने से पहले जाँच को दोहराते हैं।
कुछ लोगों में अलग अलग जाँचों में अलग अलग परिणाम इसलिए भी आते हैं क्योंकि वह मधुमेह के शुरूआती चरण में होते हैं जिसमें उनके खून में ग्लूकोज़ के स्तर इतने नहीं बढ़ते हैं कि हर जांच के परिणाम में दिखें। इस मामले में, डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ व्यक्ति की बारीकी से जाँच करने और कई महीनों में जाँच दोहराने का विकल्प चुन सकते हैं।
प्रयोगशाला में की गई जाँच के परिणाम एक दिन से दूसरे और एक जाँच से दूसरी जाँच में अलग-अलग आ सकते हैं। यह निम्नलिखित कारकों के कारण हो सकता है:
आपके रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर में प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण आपके परिणाम भिन्न हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, जब आप खाते हैं या व्यायाम करते हैं तो आपके रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर ऊपर और नीचे होते हैं। बीमारी और तनाव भी आपके रक्त में ग्लूकोज़ की जाँच के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। थोड़े समय के लिए होने वाले बदलावों से फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज़ जाँच या ओरल ग्लूकोज़ टॉलरेंस जाँच की तुलना में ए1सी जाँच के प्रभावित होने की संभावना कम होती है।
ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं जो लाल रक्त कोशिकाओं के जीवन काल को बदलती हैं, जैसे रक्त की हानि, सिकल सेल रोग, एरिथ्रोपोएटिन उपचार, हेमोडायलिसिस, या खून चढ़ाना, यह सब ए1सी के स्तरों को बदल सकती हैं।
जिन लोगों में लोहे की बहुत कमी होती है उसमें गलत उच्च ए1सी परिणाम आ सकता है; उदाहरण के लिए, वह लोग जिनमें लौह की कमी के कारण खून में कमी होती है। गलत ए1सी परिणामों के अन्य कारण हैं - गुर्दे की विफलता या जिगर की बीमारी।
यदि आपके परिवार के किसी सदस्य को सिकल सेल एनीमिया या थैलेसेमिया है, तो ए1सी जाँच मधुमेह और पूर्व मधुमेह का निदान या नियंत्रण करने के लिए अविश्वसनीय हो सकती है।
हेमोग्लोबिन भिन्नता वाले लोगों के लिए सभी ए1सी जाँच अविश्वसनीय नहीं होतीं। जिन लोगों में एक ए1सी जाँच से परिणाम गलत आते हैं उनको अपने रक्त में ग्लूकोज़ के सामान्य स्तर का पता करने के लिए अन्य ए1सी जाँच की ज़रूरत पड़ सकती है।
यहां तक कि जब एक ही प्रयोगशाला में खून का एक ही नमूना बार-बार मापा जाता है, तब भी तापमान, उपकरण या नमूने को संभालने में हुए छोटे बदलावों के परिणाम कारण भिन्न हो सकते हैं। यह कारण फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज़ जाँच और ओरल ग्लूकोज़ टॉलरेंस जाँच की ग्लूकोज़ की मात्रा को ए1सी की तुलना में अधिक प्रभावित करते हैं।
डॉक्टर इन भिन्नताओं को समझते हैं और रोग की पुष्टि करने के लिए प्रयोगशाला में जाँच को दोहराते हैं। मधुमेह समय के साथ विकसित होता है, इसलिए जाँच परिणामों में बदलाव के साथ भी, डॉक्टर यह बता सकते हैं कि रक्त में ग्लूकोज़ के कुल स्तर कब अधिक हो रहे हैं।
दोहराए जाने पर, ए1सी जाँच का परिणाम पहले माप से थोड़ा अधिक या कम हो सकता है। इसका मतलब है, उदाहरण के लिए, यदि एक जाँच में ए1सी का परिणाम 6.8 प्रतिशत आता है तो खून के उसी नमूने की दोबारा जाँच करने पर इसका परिणाम 6.4 से 7.2 प्रतिशत की सीमा के बीच आ सकता है। पहले के समय में, यह सीमा ज़्यादा बड़ी थी लेकिन नए, सख्त गुणवत्ता नियंत्रण वाले मानकों के कारण ए1सी जाँच के परिणाम अधिक ठीक होते हैं।
आपका डॉक्टर आपके उपचार के लक्ष्यों को निर्धारित करने, चिकित्सा में परिवर्तन करने और आपके मधुमेह को नियंत्रित रखने के लिए ए1सी जाँच का उपयोग कर सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार मधुमेह वाले लोगों को साल में कम से कम दो बार ए1सी जाँच करवानी चाहिए। यदि आप अपने उपचार के लक्ष्यों तक नहीं पहुँच पाते तो डॉक्टर आपकी ए1सी जाँच कई बार कर सकते हैं।
मधुमेह से संबंधित पुरानी जानकारी और सामान्य स्वास्थ्य के आधार पर लोगों का ए1सी लक्ष्य अलग-अलग होता है। आपको अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ के साथ अपने ए1सी लक्ष्य के बारे में बात करनी चाहिए। अध्ययनों से पता चलता है कि मधुमेह वाले कुछ लोग ए1सी के स्तर को 7 प्रतिशत से कम रखकर मधुमेह की समस्याओं के खतरे को कम कर सकते हैं।
मधुमेह की शुरुआत में रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित करने से आने वाले कई सालों के लिए लाभ मिल सकता है। हालांकि, जो ए1सी स्तर एक व्यक्ति के लिए सुरक्षित हो वह दूसरे व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकता है। उदाहरण के लिए, ए1सी का स्तर 7 प्रतिशत से नीचे रखना सुरक्षित नहीं होता, अगर इसके कारण खून में ग्लूकोज़ की कमी होती है।
कुछ परिस्थितियों में रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित करने में कम सख्ती या ए1सी का 7 से 8 प्रतिशत के बीच या ज़्यादा होना, उन लोगों के लिए ठीक हो सकता हैं जिनमें:
अनुमानित सामान्य ग्लूकोज़ (Estimated Average Glucose or eAG) की गणना आपके ए1सी से की जाती है। कुछ प्रयोगशालाएं ए1सी जाँच के परिणामों के साथ अनुमानित सामान्य ग्लूकोज़ को प्रस्तुत करती हैं। अनुमानित सामान्य ग्लूकोज़ की संख्या आपको अपने ए1सी को दैनिक ग्लूकोज़ नियंत्रण के स्तर से जोड़ने में मदद करती है। अनुमानित सामान्य ग्लूकोज़ की गणना ए1सी प्रतिशत को घरेलू ग्लूकोज़ मीटर द्वारा उपयोग की जाने वाली इकाइयों में परिवर्तित करती है - मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर।
अनुमानित सामान्य ग्लूकोज़ की संख्या दैनिक ग्लूकोज़ की संख्या से अलग होती है क्योंकि यह आपके खून में ग्लूकोज़ के एक समय के स्तर की बजाए लंबे समय के स्तर दर्शाती है।
पिछले महीने के दौरान आपके रक्त में ग्लूकोज़ के स्तरों में आए बड़े बदलाव आपके ए1सी जाँच के परिणाम में दिखाई देंगे, लेकिन ए1सी जाँच रक्त में ग्लूकोज़ के स्तरों में हुई अचानक, अस्थायी वृद्धि या कमी को नहीं दिखाती है। हालांकि ए1सी के परिणाम लंबे समय के लिए हुए बदलावों की मात्रा दिखाते हैं, लेकिन पिछले 30 दिनों के रक्त ग्लूकोज़ के स्तर उससे पिछले महीनों की तुलना में ए1सी की संख्या पर अधिक प्रभाव डालते हैं।
नैदानिक परीक्षण नैदानिक शोध का एक हिस्सा हैं। नैदानिक परीक्षण किसी रोग को रोकने, पहचानने और इलाज करने के नए तरीकों के बारे में पता करते हैं। मधुमेह के बारे में अधिक जानने के लिए वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं, जिसमें ए1सी का अध्ययन भी शामिल है। उदाहरण के लिए -